पिछली पोस्ट में हमने साइबर संसार (Cyber World) के बारे में जाना था । आज हम साइबर संसार के अंधेरे पक्ष/डार्क साईड के बारे में जानेंगे ।
कभी आपने अपने घर, दोस्त , रिश्तेदारों से यह कहते सुना है कि मेरे पास किसी अनजान नम्बर से फोन आया और मेरे खाते से पैसे कट गये ? अवश्य सुना होगा क्योंकि आज के समय में इस तरह की घटनाओं में बहुत वृद्धि देखने को मिली है । ये तो सिर्फ एक छोटा सा उदाहरण है।
इस साइबर संसार में घुसपैठ किये हुए साइबर अपराधी कम्प्यूटर , मोबाइल व इन्टरनेट का उपयोग करके सीधे सादे लोगों को विभिन्न तरीकों से मानसिक व आर्थिक हानि पहुंचा रहे हैं जैसे फर्जी बैंक कॉल, किसी की पहचान चोरी करना व जानकारी मिटाना व जानकारी मे फेर बदल करना, किसी की जानकारी को किसी और को देना या कंप्यूटर के भागो को चोरी करना या नष्ट करना, सोशल नेटवर्किग साइटों पर अफवाह फैलाना , कंप्यूटर या अन्य किसी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट से चोरी की गई सूचनाओं को ग़लत तरीके से हासिल करना, निजता भंग करना, इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से सेक्स या अश्लील सूचनाओं का प्रकाशन करना इत्यादि अपराध शामिल है अगर कुछ सावधानियां बरती जाये तो इनसे काफी हद तक बचा जा सकता है।
शुरूआत में साइबर अपराधी मोबाइल यूजर को लॉटरी के बारे में बताकर मोबाइल यूजर से अपने खातों में पैसा डलवा लेते थे लेकिन वर्तमान में साइबर अपराध के विभिन्न तरीके बना लिये हैं। आपको पता भी नहीं लगता है कि आपके साथ घटना घट चुकी होती है ।
साइबर अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिये सभी सरकारें कानून भी बना रही है लेकिन इन अपराधियों पर अंकुश लगा पाना मुश्किल हो रहा है ।
साइबर अपराध के प्रकार
स्पैम ई-मेल(Spam Email)- अनेक प्रकार के ई-मेल आते है जिसमें ऐसे ई-मेल भी होते है जो सिर्फ कंप्यूटर को नुकसान पहुचाते है। उन ई-मेल से कंप्यूटर को विभिन्न प्रकार के नुकसान पहुंच सकते हैं जैसे कि कम्प्यूटर से डाटा से चोरी करना , डाटा को खत्म करना , इसके द्वारा कम्प्यूटर पर क्या क्या हो रहा इसकी जानकारी प्राप्त करना , कम्प्यूटर को हैंग कर देना इत्यादि ।
हैकिंग- स्पैम ई-मेल या किसी अन्य तरीके से आपके कम्प्यूटर में घुसना और आपकी निजी जानकारी को हैक करना जैसे कि नाम या पासवर्ड और फिर उसमे फेर बदल करना।
साइबर फिशिंग- जैसे कि मछली को पकडनें के लिये कांटे में रोटी या ब्रेड लगाकर मछली को पकड़ते है उसी प्रकार आपके पास स्पैम ईमेल या किसी अन्य तरीके से आपको अपना शिकार बनाते हैं ।
वायरस फैलाना –साइबर अपराधी कुछ ऐसे सॉफ्टवेयर आपके कम्प्यूटर पर भेजते हैं जिसमें वायरस छिपे हो सकते हैं, इनमें वायरस, वर्म, टार्जन हॉर्स, लॉजिक हॉर्स आदि वायरस शामिल हैं, यह आपके कंप्यूटर को काफी हानि पहुँचा सकते हैं।
सॉफ्टवेयर पाइरेसी – सॉफ्टवेयर की नकल तैयार कर सस्ते दामों में बेचना भी साइबर क्राइम के अन्तर्गत आता है, इससे साफ्टवेयर कम्पनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है ।
फर्जी बैंक कॉल/एटीएम क्लोन- बैंक के अधिकारी बताकर आपके खाते से सम्बन्धी जानकारी प्राप्त कर आपके खाते से रूपये निकाल लेना या एटीएम का क्लोन बनाकर खाते से रूपये निकाल लेना ।
सोशल नेटवर्किग साइटों पर अफवाह फैलाना – सोशल साइट या एप जैसे फेसबुक , वाट्सएप, इंस्टाग्राम आदि पर बहुत से लोग सामाजिक, वैचारिक, धार्मिक और राजनैतिक अफवाह फैलाने का काम करते हैं, लेकिन यूजर्स उनके इरादें समझ नहीं पाते हैं और जाने- अनजाने में ऐसे लिंक्स को शेयर करते रहते हैं, लेकिन यह भी साइबर अपराध और साइबर-आतंकवाद की श्रेणी में आता है।
साइबर बुलिंग – फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग पर अशोभनीय कमेंट करना, इंटरनेट पर धमकियॉ देना किसी का इस स्तर तक मजाक बनाना कि तंग हो जाये, इंटरनेट पर दूसरों के सामने शर्मिंदा करना, इसे साइबर बुलिंग कहते हैं।
हम अपनी अगली पोस्ट में जानेंगे कि सरकारों द्वारा साइबर अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिये कौन कौन से कानून बनाये हैं ?